F सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं /sashankha chakram shloka - bhagwat kathanak
सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं /sashankha chakram shloka

bhagwat katha sikhe

सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं /sashankha chakram shloka

सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं /sashankha chakram shloka

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सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं /sashankha chakram shloka

सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्।

सहारवक्षःस्थलकौस्तुभश्रियं नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम्॥१०७ ॥

उन चतुर्भुज भगवान् विष्णुको मैं सिरसे प्रणाम करता हूँ, जो शङ्क-चक्र धारण किये हैं, किरीट और कुण्डलोंसे विभूषित हैं, पीताम्बर ओढ़े हुए हैं, सुन्दर कमल-से जिनके नेत्र हैं और जिनके वक्षःस्थलमें वनमालासहित कौस्तुभमणिकी अनूठी शोभा है॥ १०७॥ 

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