शान्ताकारं भुजगशयनं /shantakaram bhjag shayanam shloka
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥१०६॥
सर्वलोकोंके एकमात्र स्वामी भवभयहारी भगवान् विष्णुकी वन्दना करता हूँ, जो शान्तस्वरूप हैं, शेषशायी हैं, कमलनाभ और सुरेश्वर हैं, जो विश्वके आधार, आकाशके समान निर्लेप मेघवर्ण और सुन्दर शरीरवाले हैं तथा जो लक्ष्मीजीके आनन्दवर्धक, कमलनयन और योगियोंके द्वारा ध्यानगम्य हैं॥ १०६॥