श्रीवत्साकम घनश्याम /shri vatsakam ghanshyamam shloka
श्रीवत्साकम घनश्याम पुरुष वनमालिनम्।
शङ्खचक्रगदापौरभिव्यक्तचतुर्भुजम् ११७॥*
जिनके वक्षःस्थलमें श्रीवत्सचिह्न है, जो घनश्याम हैं, परमपुरुष हैं, वनमालाधारी हैं, शङ्ख, चक्र, गदा और पद्मयुक्त जिनकी चार भुजाएँ हैं ॥ ११७॥