F यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः/yam bramha varunendra shloka - bhagwat kathanak
यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः/yam bramha varunendra shloka

bhagwat katha sikhe

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः/yam bramha varunendra shloka

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः/yam bramha varunendra shloka

 यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः/yam bramha varunendra shloka

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः/yam bramha varunendra shloka

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै-

वेदैः साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः।

ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो

यस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणा देवाय तस्मै नमः॥१०९॥

ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्रण जिनका दिव्य स्तोत्रोंसे स्तवन करते हैं, सामगान करनेवाले लोग अङ्ग, पद, क्रम और उपनिषदोंके सहित वेदोंसे जिनका गान करते हैं, ध्यानमग्न एवं तल्लीनचित्तसे योगी जिनका साक्षात्कार करते हैं और जिनका पार सुर और असुर कोई भी नहीं पाते, उन भगवान्को नमस्कार है॥ १०९॥ 

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 यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतः/yam bramha varunendra shloka


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