केचित्स्वदेहान्त /kechit svadehant shloka
केचित्स्वदेहान्तर्हदयावकाशे प्रादेशमात्रं पुरुषं वसन्तम्।
चतुर्भुज कञ्जरथाङ्गशङ्खगदाधरं धारणया स्मरन्ति ॥११०
कोई- कोई अपने देहके भीतर चित्ताकाशमें विराजमान प्रादेशमात्र (बित्ताभरके ) चतुर्भुज पुरुषको, जो शङ्ख, चक्र, गदा और पद्म धारण किये हुए हैं, धारणाद्वारा स्मरण करते हैं ॥ ११०॥