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गौतम बुद्ध की कहानियाँ (पाप से मुक्ति)

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गौतम बुद्ध की कहानियाँ (पाप से मुक्ति)

गौतम बुद्ध की कहानियाँ (पाप से मुक्ति)

 गौतम बुद्ध की कहानियाँ

गौतम बुद्ध की कहानियाँ (पाप से मुक्ति)

(पाप से मुक्ति)

गौतम बुद्ध के युग की बात है। एक बार राजभवन में एक भव्य उत्सव मनाने की योजना बनाई गई। उस उत्सव में नगर की एक प्रसिद्ध और कुशल नर्तकी को नाचने के लिए बुलाया गया। वह नर्तकी एक ग्वाले की पत्नी थी।


उन दिनों उसके पेट में गर्भ पल रहा था इसलिए उसने कहा-"अपनी शारीरिक स्थिति ठीक न होने के कारण मैं नाचने में असमर्थ हूँ, कृपया मुझे नृत्य न करने की अनुमति दी जाये।"


उसकी प्रार्थना को सामन्तों ने अनसुनी कर दिया और विवश होकर उसे नाचना पड़ा। इससे वह बहुत दुखी हुई और उसके मन में बदला लेने की भावना पैदा हो गई।

 गौतम बुद्ध की कहानियाँ


यह भावना वह पूरे जीवन पाले रही। इसी भावना के चलते दूसरे जन्म में राज-कुल में ही एक यक्षिणी के रूप में उसका जन्म हुआ। इस जन्म में उसका नाम रखा गया-हारिति।


हारिति जब बड़ी हुई तो पूर्व जन्म में भड़की बदले की भावना से पाप का प्रेरणा का जन्म हुआ और वह नगर के बच्चों को चुराकर मारने और खाने लगी।


यह बात छिपी नहीं रही और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। गौतम बुद्ध को जब यह घटना ज्ञात हुई कि बच्चों को खा जाने वाली एक यक्षिणी को बन्दी बनाया गया है तो उनके मस्तिष्क में हलचल मच गई कि एक कलाकार महिला ने पाप के पथ को क्यों अपनाया।

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अपने मन में विचार करने पर जब उन्होंने जाना कि पूर्वजन्म में इसके साथ कैसा दुर्व्यवहार किया गया था तो उन्होंने राजभवन के अधिकारी से कहकर उसे कारागार से छुड़वा दिया।


साथ ही उन्होंने सेवकों से कहा कि इसके बच्चों को चुरा लो। जब उसका बच्चा चुरा लिया गया तो उसके वियोग में हारिति को मन को छेद देने वाली पीड़ा हुई।


उसके मन में करुणा पैदा हुई और बच्चों के प्रति वात्सल्य जाग उठा। इस वात्सल्य की तीव्रता इतनी बढ़ी कि उसे यह अनुभव होने लगा कि जैसा शोक अपने पुत्र के लिए मुझे हो रहा है, वह उन माताओं को भी हुआ होगा जिनके बच्चों को चुराकर मैंने मारकर खा लिया है।

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पुत्र-वियोग से दुखी हुई हारिति गौतम बुद्ध के पास जाकर कहने लगी-“भगवान्! मेरे कर्मों का फल तो मुझे मिल गया पर अब मेरी मुक्ति कैसे हो!"


जा गौतम बुद्ध ने कहा-“वह मैं बताता हूँ, सुनो। अब तक तो तुम बच्चों को खाती रही थीं। अब तुम उनकी रक्षा और विकास के कार्य में लग जाओ।


इसी से तुम्हें शान्ति मिल सकती है। तुमने समाज के साथ दुर्व्यवहार करके जो मन मैला कर लिया है, उसे सेवा के साबुन से धो डालो। तुम्हारा कल्याण इसी में है।"


गौतम बुद्ध से प्रेरणा पाकर उस स्त्री ने अपना पूरा जीवन बच्चों की रक्षा और विकास के लिए समर्पित कर दिया।

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