मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी /धुल गया मन का मैल

 मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

प्रेरणादायक हिंदी कहानियां PDF (जाति-पाँति पूछे नहिं कोई )


धुल गया मन का मैल

एक युवक की नई-नई शादी हुई थी। बहू को घर आये चार-छह दिन ही बीते थे। एक दिन युवक ने अपनी पत्नी को अपने पास बिठाकर पूछा-“तुम्हारे पास कितना जेवर है?

मेरे कहने का मतलब है कि तुम्हारे माँ-बाप ने कितना सोना दिया है? यह भी बता दो कि मेरे माँ-बाप ने तुम्हारे लिए कितना सोना चढ़ाया है?"

पत्नी सकपका गई। बोली-“मेरे माँ-बाप के पास था ही क्या? एक पतली-सी चेन और नथ दी है। आपकी ओर का भी पाँच-सात तोला सोना होगा।"

युवक बोला-“लाओ, सारा जेवर मुझे दे दो।"
पत्नी को बड़ी पीड़ा हुई। साहस करके धीरे से उसने कहा-“क्या करेंगे आप उसका?"

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“ओखली में रखकर कूदूँगा, तुम्हें इससे मतलब!" युवक ने उत्तर दिया। बहू ने भयभीत होकर सारा जेवर उतारकर उसे दे दिया।

युवक ने भी सारे जेवर को ओखली में डालकर मूसल से कूट डाला। यह देख बहू घबराकर दूसरे कमरे में चली गई और रोने लगी। वह किससे क्या कहती?

उसका अपना तो और कोई वहाँ था ही नहीं। दूसरे दिन उसके भाई आकर उसे लिवा ले गये। जब वह अपने वहाँ पहुँची तो माँ के गले से लगकर फूट-फूटकर रोने लगी।

बहुत कुछ पूछने पर भी उसने किसी को कुछ नहीं बताया। उसकी भाभी उसे अपने कमरे में ले गयी तो प्यार से पूछने लगी-“क्या हुआ है तुम्हें?"

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ननद ने भाभी को सिसक-सिसकर सारी बात बता दी। सुनकर सारे घर में सन्नाटा छा गया। सभी सकते में आ गये।

लक्ष्मी की माँ तो बावली हो गई। उसने अपने पति से कहा-“क्या देखा तुमने, वह लड़का तो मुझे पागल लगता है।

तुमने कोई छान-बीन करे बिना ही लड़की को आनन-फानन उसके पल्ले बाँध दिया।" पिता से कोई जवाब बना ही नहीं।

उन्होंने पूरी छान-बीन करके ही बेटी का विवाह किया था। पूरे घर में खुसर-पुसर। पिता के अतिरिक्त सबका निश्चय था कि बहनोई के घर जाकर उनकी ऐसी-तेसी करें पर पिता इसके लिए तैयार नहीं थे और किसी को समझा भी नहीं पा रहे थे।

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कुछ दिन बीत गए। लड़का अपनी पत्नी को लिवाने अपनी ससुराल आया। गाँव वालों ने उसका भरपूर स्वागत किया।

चाहते हुए भी पिता के द्वारा रोके जाने पर किसी ने कुछ नहीं कहा और लड़की को उसके साथ भेज दिया।

पर सभी के मन में आवेश उमड़ रहा था। चार-पाँच दिन पीछे लड़की का पत्र लेकर एक व्यक्ति आया।

पत्र बेटी के ही हाथ का लिखा था। उसमें केवल इतना ही लिखा था कि आप सब आयें। कुछ समझ में नहीं आया कि मामला क्या है।

तब योजना बना व के मुखिया को लेकर वहाँ चलें। " लोग लड़की की ससुराल पहुंचे। उन सबको देखकर युवक हैरान ये सब एक साथ अचानक ही यहाँ कैसे आये हैं।

खैर, सबका " योग्य सम्मान किया गया। तब लड़की ने अपने माँ-बाप एवं भाइयों ke पास में बुलाकर कहा-“देखो, यह मेरा मन्दिर है।"

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कमरे में उसके पति के चित्र के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था। बेटी ने कहा-“माँ, मैं रोज इनकी पूजा करती हूँ।

मैं इतनी खुश हूँ कि ससार शायद ही कोई मेरे समान भाग्यशाली हो।" सब हैरान थे। तभी सबने देखा कि कमरे में बाँके बिहारी जी की मूर्ति की लडकी ने सबको दर्शन कराये और बताया कि उन्होंने जो सोना से उतरवाकर ले लिया था उससे इन्होंने बाँके बिहारी के मुकुट आदि जवा दिये हैं और सबसे पहले लाकर मुझे ही दिये।

साथ ही कहा-"लो से तम्हारे जेवर, अपने हाथ से भगवान को पहना देना। मैं तो धन्य हो गई। मैं नहीं जानती थी कि मुझे इतना सुबोध पति मिलेगा।" अब तो सबके मन का मैल धुल गया।

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