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Dharmik Stories in Hindi /शासन का लक्ष्य

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Dharmik Stories in Hindi /शासन का लक्ष्य

Dharmik Stories in Hindi /शासन का लक्ष्य

 Dharmik Stories in Hindi

Dharmik Stories in Hindi /शासन का लक्ष्य

शासन का लक्ष्य

चीन के एक सन्त थे। नाम था-चांग चुआंग। एक बार एक चीनी व्यक्ति ने उनसे पूछा- “आचार्य, सुशासन की पहचान क्या है?"


प्रश्न को ध्यान से सुनकर चांग चुआंग बोले-“वत्स! जिस देश के शासक के पास शक्ति है, समझ लो, वहाँ सुशासन है।"


प्रश्नकर्ता ने पुन: कहा-“लेकिन शासक शक्ति-सम्पन्न कैसे हो सकता है?" 

आचार्य ने उत्तर दिया-“इसके लिए तीन प्रमुख बातें हैं।  वे हैं-

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1. प्रजा को खाने-पीने की वस्तुएँ भरपूर मिलें। 

2. आवश्यक शस्त्रास्त्रों की कमी न खले। 

3. प्रजा पर शासक और शासक पर प्रजा का अटूट विश्वास हो। 

ऐसा शासन न हिल सकता है, न डुल सकता है।"


अगला प्रश्न हुआ-“यदि कभी इन तीनों से किसी एक को छोड़ना पड़ जाये तो किसे छोड़ा जाये?"

“शस्त्रास्त्रों को।" आचार्य ने उत्तर दिया। प्रश्नकर्ता ने फिर पूछा-“शेष दो में से यदि किसी एक को छोड़ना पड़े तो?"

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"तब खाने-पीने की वस्तुओं का त्याग किया जा सकता है।" सन्त का उत्तर था।

व्यक्ति का पुनः प्रश्न-“ऐसा क्यों?"


आचार्य ने तर्कयुक्त उत्तर दिया-“इसलिए कि मृत्यु सर्वथा निश्चित है। उस पर व्यक्ति विजय प्राप्त नहीं कर सकता।


खाने-पीने की वस्तुओं के अभाव में कुछ लोगों की मृत्यु हो भी जाये तो उससे कुछ बनना-बिगड़ना नहीं है। पर यदि प्रजा का विश्वास टूट जाये तो शासन स्थिर नहीं रह सकेगा। वह डाँवाँडोल होकर नष्ट हो जायेगा।"

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जिज्ञासु ने पूछा-“तो फिर शासन का लक्ष्य क्या होना चाहिए?"

गुरुजी ने समाधान किया-“प्रजा के हित के अतिरिक्त शासन का लक्ष्य अन्य कुछ हो ही नहीं सकता।


प्रजा की खुशहाली ही शासन का लक्ष्य होना चाहिए। शासक को सदा याद रहे कि शासन जनता की भलाई के लिए है, शासन करने के लिए नहीं।"

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