Dharmik Stories in Hindi
(कोई माने या न माने)
एक बार कुष्ठ रोग से पीड़ित कुछ व्यक्ति ईसा मसीह के पास आये। उन्हें किसी ने प्रेरित किया था कि ईसा के पास जाने से यह रोग दूर हो जायेगा। अत: उन्हें अपना रोग ठीक हो जाने का पूरा विश्वास था।
वे सब ईसा के पास पहुंचे तो सचमुच सबका रोग दूर हो गया। उनकी काया कंचन जैसी हो गई और साथ ही वे हष्ट-पुष्ट भी हो गये।
कोई भी उन्हें देखकर यह नहीं कह सकता था कि ये कभी कोढ़ से पीड़ित रहे होंगे। - जब वे सब भले-चंगे और स्वस्थ हो गये तो उन्होंने लौट चलने का विचार किया और घर जाने को तैयार हो गये।
Dharmik Stories in Hindi
जाते समय उनमें से बहुत-सों ने ईशा के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। पर कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने उनके प्रति धन्यवाद का एक शब्द भी नहीं कहा।
इतना ही नहीं, वे लौटते समय उनसे मिले भी नहीं। ईसा के अनुयाइयों को यह बात बुरी लगी। कुष्ठ रोगियों के चले जाने के बाद यह बात उन्होंने शिकायत के रूप में ईसा से भी कही।
ईसा ने होंठों पर मुस्कान लाते हुए सहज भाव से उन्हें उत्तर दिया, “ईश्वर । को कोई माने, या न माने, वह किसी का खाना-पीना देना बंद नहीं करता। बोलो, क्या मैं ठीक नहीं कह रहा हूँ?"
अनुयायी मौन ही रहे। उनके पास ईसा मसीह की बात का उत्तर था ही नहीं।