buddha motivational stories
(चार प्रकार के मनुष्य)
भगवान बुद्ध प्रवचन कर रहे थे। बहुत से जिज्ञासु पुरुष उनका प्रवचन मान रहे थे। सभी को प्रवचन में आनन्द आ रहा था।
बुद्ध की वाणी से सभी परमानन्द में मग्न हो रहे थे। प्रवचन में बुद्ध देव ने कहा था-मनुष्य चार प्रकार के होते हैं।
पर वे चारों प्रकार नहीं बताये थे। भगवान बुद्ध का प्रवचन समाप्त हो गया। सभी उठकर जाने लगे पर क जिज्ञासु राजा खड़ा रहा।
बुद्ध देव ने बड़ी मधुर वाणी में पूछा-"क्या आपकी कोई जिज्ञासा है? है तो कहो।"
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जिज्ञासु राजा बोला- “महाराज! आपने अभी-अभी कहा था कि मनुष्य चार प्रकार के होते हैं। कृपया समझाकर कृतार्थ करें।"
भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया-“मनुष्य चार प्रकार के होते हैं-
1. अन्धकार से अन्धकार में जाने वाला,
2. अन्धकार से प्रकाश की ओर जाने वाला,
3. प्रकाश से अन्धकार की ओर जाने वाला और
4. प्रकाश से प्रकाश की ओर जाने वाला।
थोड़ी देर रुककर उन्होंने और स्पष्ट किया-“राजन्! यदि कोई मनुष्य चाण्डाल, निषाद आदि हीन कुल में जन्म ले और अपना समस्त जीवन दुष्कर्म करने में बिताये, उसे मैं अन्धकार से अन्धकार की ओर जाने वाला कहता हूँ।
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“यदि कोई मनुष्य हीन कुल में जन्म लेकर तथा खाने-पीने की वस्तुओं का अभाव होने पर भी मन-वचन-कर्म से सत्कर्म करता है तो ऐसे मनुष्य को अन्धकार से प्रकाश की ओर जाने वाला समझना चाहिए।
“यदि कोई मनुष्य किसी अच्छे कुल में पैदा हो, खाने-पीने की कमी न हो, शरीर से सुन्दर और बलवान हो, किन्तु मन-वचन-कर्म से बुरा आचरण करने लगे तो वह प्रकाश से अन्धकार की ओर जाने वाला कहा जायेगा।
_“किन्तु जो मनुष्य अच्छे कुल में जन्म लेकर सदा ही अच्छे कार्यों की साधना में लगा रहे तो मैं उसे प्रकाश से प्रकाश में जाने वाला कहता हूँ।"
इस स्पष्टीकरण से जिज्ञासु राजा प्रसन्न हो गया और उसने सदाचरण करने का फैसला कर अपना जन्म सफल कर लिया।