dharmik katha story in hindi ( यदि काम आयेगा तो राम का नाम)
dharmik katha story in hindi
( यदि काम आयेगा तो राम का नाम)
संतों की गणना में संत तुकाराम का नाम अत्यन्त आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। बात उन दिनों की है जब वे लोहगाँव में थे।
छत्रपति शिवाजी ने बहुत-सी मशालें, घोड़े तथा बहुमूल्य जवाहरात भेजे और पूना पधारने का अनुरोध किया। पर तुकारामजी तो विरक्त थे। उन्होंने इन सब वस्तुओं को छुआ तक नहीं। सब-की-सब लौटा दी और साथ ही एक पत्र भी दिया।
पत्र में लिखा मशाल, छत्र और घोड़ों को लेकर मैं क्या करूँ? यह सब मेरे लिए किसी काम के नहीं हैं। मान और दंभ मेरे लिए सूअरी की विष्ठा (मल) जैसा है।
मैं संसार से अलग रहना चाहता हूँ। विषयों में रमना चाहता ही नहीं। मैं चाहता हूँ-एकान्त में रहूँ और किसी से कुछ भी न बोलूँ। तुका ने तो भगवान के चरणों को ही आलिंगन में भर लिया है, अब वे छोड़े नहीं छूटेंगे।
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मेरे लिए चींटी और सम्राट दोनों ही एक जैसे हैं। मोह और ममता तो इस कलि-माल के फन्दे हैं। मैं इनसे छूट गया हूँ। अब मेरे लिए सोना और मिट्टी बराबर है।
पूरा वैकुंठ घर बैठे ही आ गया है। मुझे किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। मेरे पास तीनों लोकों का वैभव है, ऐसा मैं समझता हूँ।
सबसे बड़े और सबके माता-पिता भगवान मुझे मिल गये हैं, फिर मुझे और क्या चाहिए?
एक बात और। आप मुझे क्या और कितना दे सकते हैं? देने वाले ने सब कुछ दे दिया है। धन आप दे सकते हैं पर वह मेरे लिए गो-मांस के समान है। यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो बस इतना ही दीजिए कि मुँह से विट्ठल-विट्ठल कहिए।
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इसी में मुझे सुख मिलेगा। गले में तुलसी की माला पहनिए, एकादशी का व्रत कीजिए और हरि के दास कहलाइए। तुका की आपसे यही प्रार्थना है।
सोने के बड़े-बड़े पर्वत बनाये जा सकते हैं। वन के सभी वृक्षों को कल्पतरु बनाया जा सकता है। नदियों और समुद्रों को अमृत से भरा जा सकता है। मृत्यु को रोका जा सकता है।
सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। यह सब हो सकता है, परन्तु प्रभु-चरणों का प्रेम प्राप्त करना बहुत दुर्लभ है। ये सारी सिद्धियाँ उतना काम नहीं दे सकतीं जितना काम प्रभु के चरणों में प्राप्त हो गया है। इनके मिल जाने पर अब इन मशालों, छत्रों और घोड़ों को कहाँ स्थान हूँ।
आपने बड़े-बड़े बलवानों को अपना मित्र बताया है। परन्तु याद रखिए, अंत समय में कोई काम नहीं आयेंगे। राम का नाम लीजिए और इस उत्तम नाम को अपने अंदर स्थापित कर लीजिए।
ये परिवार, कौम, धन, सेना किसी काम नहीं आएंगे। जब तक काल सिर पर सवार नहीं होता, तभी तक अपना यह बल है। उस समय राम नाम के अतिरिक्त और कोई भी काम नहीं आयेगा।
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