Dharmik Stories in Hindi
(विश्वास की महिमा)
ईरान के एक प्रसिद्ध मुस्लिम संत थे। नाम था-फजल ऐयाज। ऐसा सुना-कहा जाता है कि पहले वे डाकुओं के सरदार थे।
एक बार उनके दल के डाकुओं ने व्यापारियों के एक समूह को लूटना शुरू कर दिया। जब डाकू लूट को अंजाम दे रहे थे, उस बीच एक व्यापारी डाकुओं की नजर बचाकर एक तम्बू में घुस गया।
उसी तम्बू में गिरोह के सरदार फजल ऐयाज. बैठे हुए थे। उन्होंने फकीर का वेश बनाया हुआ था। फकीर को देखकर व्यापारी ने अपनी रुपयों की थैली उसके सामने रख दी।
फिर बोला-“मैं | अपनी रुपयों से भरी थैली रख रहा हूँ। यहाँ यह धन-राशि सुरक्षित रहेगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
Dharmik Stories in Hindi
जब डाकू लोग यहाँ से चले जायेंगे तो मैं इसे यहाँ से ले जाऊँगा। मेरे आने तक आप ही इसके रक्षक हैं।"
थोड़ी देर बाद लूट का माहौल बदल गया। अवसर को ठीक जानकर व्यापारी उस तम्बू में अपनी थैली लेने के लिए घुसा तो वहाँ की स्थिति देखकर हैरान रह गया।
वहाँ व्यापारियों को लूटने वाले सभी डाकू बैठकर लूट के माल को आपस में बाँट रहे थे। बँटवारे में मुख्य परामर्श फजल का ही होता था।
यह देखकर व्यापारी को बड़ा पछतावा हुआ। वह निराश और भयभीत होकर वहाँ से लौटने लगा। फजल ने व्यापारी को संबोधित करते हुए कहा-"अरे सुनो तो! तुम ऐसे कैसे लौटे जा रहे हो?"
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व्यापारी घबरा गया। बोला-“हुजूर मैं अपनी रुपयों की थैली लेने आया शा, पर यहाँ आकर, मैंने यहाँ से ऐसे ही चले जाना ठीक समझा, इसलिए लौट जा रहा हूँ।"
फजल ऐयाज ने कहा-“ठहरो! तुम अपनी अमानत लेते जाओ।"
फजल की यह बात डाकुओं को नहीं सुहाई। उन्होंने सरदार से कहा-“हुजूर! आप क्या कर रहे हैं। क्या डाकू कभी अपने हाथ आये सामान को वापस करते हैं!"
- ऐयाज बोले-“तुम लोग ठीक कह रहे हो। पर यह व्यापारी मुझ पर सच्चा विश्वास करके ही अपनी थैली यहाँ रख गया था।
उसके विश्वास को मैं चोट नहीं पहुँचा सकता।" फजल के इस कथन से सभी डाकुओं के सिर ग्लानि से झुक गये।