Dharmik Stories in Hindi
मस्ती का रहस्य
अयोध्या के राजवंश में एक अत्यन्त प्रसिद्ध राजा हुए हैं। उनका नाम अम्बरीष था। एक बार वे जंगल में होक कहीं जा रहे थे।
रास्ते में उन्हें हल चलाता हुआ एक युवक मिला। वह युवक बड़ी मस्ती के साथ प्रभु-भक्ति भजन गा रहा था।
राजा उसकी इस मस्ती से बहुत प्रभावित हुए और खेत ती मेंड पर खड़े होकर उसका भक्ति और मस्ती से भरा गीत सुनने लगे।
उसकी मस्ती के प्रति राजा की उत्सुकता बढ़ी तो उन्होंने इस युवक किसान से पूछा-“बेटा! तुम्हें मस्त देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है।
Dharmik Stories in Hindi
भला बताओ तो, इस मस्ती का कारण क्या है?" । युवक ने उत्तर दिया-“दादा! मैं बड़ी मेहनत से अपनी कमाई करता हूँ।
उस कमाई को बाँटकर खाता हूँ। हर समय भगवान की याद में प्रसन्न रहता हैं। केवल यही कारण है कि मैं सदा मस्ती और खुशी में झूमता रहता हूँ। मझे लगता है कि भगवान सदा मेरे ऊपर अपनी कृपा बरसाते रहते हैं।"
राजा ने पूछा-“प्रतिदिन की तुम्हारी कमाई कितनी है और उसका बँटवारा किस तरह करते हो?" । युवक ने उत्तर दिया-“मैं एक रुपया प्रतिदिन कमाता हूँ।
Dharmik Stories in Hindi
उसको चार भागों में बाँट देता हूँ। माता-पिता ने मेरा पालन-पोषण किया है। कृतज्ञता के रूप में एक भाग अर्थात् चार आने उनको भेंट कर देता हूँ।
दूसरा भाग अपने बच्चों के लिए खर्च करता हूँ। मैं किसान हूँ, इसलिए जानता हूँ कि आदमी जो बोता है, वही पाता है।
अतः तीसरा भाग गरीबों, अपाहिजों और बीमारों की सेवा में लगा देता हूँ। शेष चौथे भाग के चार आने में अपना और अपनी पत्नी का निर्वाह करता हूँ।"
राजा ने जब यह विवरण सुना तो समझ में आ गया कि इस किसान युवक की खुशी-भरी मस्ती का रहस्य क्या है।
मन-ही-मन युवक की प्रशंसा करते हुए राजा अम्बरीय अपने मार्ग पर आगे बढ़ गये।