Dharmik Stories in Hindi
(जाको राखे साइयाँ....)
प्रातः काल के समय एक बहेलिया अपने दैनिक नियम के अनुसार पक्षियों का शिकार करने के लिए घर से निकला।
वह जंगल में पहुँचा तो एक वृक्ष पर कबूतर का जोड़ा बैठा हुआ था। बहेलिया यह देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ।
उसने तुरन्त तरकश से तीर निकाला और धनुष पर चढ़ाने लगा। कबूतरी ने देखकर कबूतर को बताया तो दोनों चिन्तित हो उठे।
दोनों उड़ने ही वाले थे कि एक बाज की नजरों में आ गये। बाज भी उन पर झपटने को तैयार हो गया। यह देख कबूतर और कबूतरी का धैर्य जवाब दे गया।
Dharmik Stories in Hindi
उन्होंने सोच लिया-“अब हमारी मृत्यु निश्चित है। इसी वृक्ष पर हमारे जीवन का अन्त हो जायेगा।"
पर प्रभु की इच्छा तो कुछ और ही थी। उनकी इच्छा का पार पाना किसी के वश की बात नहीं। ऊपर बाज और नीचे शिकारी दोनों ही उनके प्राण लेने पर तुले हैं।
उसी समय एक भयंकर काला नाग कहीं से वहाँ आ गया और बहेलिया के पैरों में लिपटकर उसे डस लिया। वह बबका और तीर का निशाना तिरछा हो गया और बाज में जाकर लगा।
साँप के काटने से शिकारी की मृत्यु हो गई और उसके तीर से बाज के प्राण-पखेरू उड़ गये।
यह इधर मरा, वह उधर मरा, दोनों से पिंड छुटा देखो। बच गये कबूतर-कबूतरी परमेश्वर की लीला देखो।