kahani bataiye (कड़वी ककड़ी)

 kahani bataiye

kahani bataiye (कड़वी ककड़ी)

(कड़वी ककड़ी)

हकीम लुकमान साहब का नाम संसार में काफी मशहूर है। सभी जानते हैं कि लुकमान प्रसिद्ध यूनानी चिकित्सक थे। उन्हें सभी हकीम साहब कहकर पुकारते थे। लेकिन हकीम बनने से पहले उन्होंने एक गुलाम के रूप में जीवन जिया था।


लुकमान जिनके यहाँ गुलाम थे, वह बहुत नेक व्यक्ति थे। वे लुकमान से बहुत स्नेह करते थे। एक दिन उनकी इच्छा हुई कि ककड़ी खाई जाये। 


उन्होंने अपनी इच्छा लुकमान को बताई तो लुकमान ने कहीं से ककड़ीलाकर उन्हें दे दी। जैसे ही स्वामी ने ककड़ी को दाँतों से काटा तो न जाने क्यों, बिना खाये ही ककड़ी मुँह से बाहर निकाली और लुकमान को देकर कहा-“ले, इसे तू खा ले।" लुकमान ने पूरी ककड़ी खा ली। ककड़ी बहुत कड़वी थी।

 kahani bataiye

लुकमान के स्वामी का ख्याल था कि ककड़ी बहुत कड़वी है, इसलिए वह भी उसे नहीं खायेगा और फेक देगा। लेकिन जब उसने सारी ककड़ी बड़े चाव के साथ खा ली तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने लुकमान से पूछा- "इतनी कड़वी ककड़ी को तू सहज ढंग से कैसे खा गया?"


लुकमान ने बड़ी ही सहजता से स्वामी को उत्तर दिया-"हुजूर! आप मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मुझे आपने कभी गुलाम नहीं समझा। मुझे कोई दुख नहीं दिया।


अच्छा और स्वादिष्ट भोजन खाने को देते हैं। आपके यहाँ में हर प्रकार का सुख भोगता हूँ। फिर आपकी दी हुई एक कड़वी ककड़ी खाने में कोई परेशानी क्यों होती! यह तो मेरा सौभाग्य था कि आपके हाथ से मुझे ककड़ी खाने को मिली।

 kahani bataiye


मालिक, आपसे ही तो मैं सुनता आया हूँ कि जो परमात्मा सदा सुख देता है, यदि उसी के हाथ से कभी दुख भी मिल जाये तो हमें उस दुख को प्रसन्न होकर सह लेना चाहिए।


मेरे मालिक! यह तो एक कड़वी ककड़ी थी, यदि आपके हाथ से मुझे कोई कठिन कष्ट भी मिल जाये तो मैं उसे भी अत्यन्त हर्ष के साथ आपका आशीर्वाद समझकर स्वीकार कर लूँगा।"


लुकमान के इस कथन को सुनकर उनके स्वामी प्रसन्न हो गये। वे इतने प्रभावित हुए कि हर्ष मिश्रित वाणी में कह उठे-“लुकमान! तुम महान हो। मैं तुम्हारे उत्तर से इतना प्रसन्न हुआ हूँ, जिसका कोई अन्त नहीं।

 kahani bataiye


आज से मैं तुम्हें गुलामी के बंधन से मुक्त करता हूँ। अब तुम मेरे गुलाम नहीं रहे। जाओ, स्वतंत्रता का जीवन जीते हुए उचित मार्ग अपनाओ।"


गुलामी के बन्धन से मुक्त होकर लुकमान ने उसी दिन से कठोर परिश्रम करना आरम्भ कर दिया। परिश्रमपूर्वक चिकित्सक-कार्य का अध्ययन पूरा किया और उसके बल पर उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में महारत हासिल की। अपने इस हुनर का प्रयोग उन्होंने मानवता की सेवा में किया।

  दृष्टान्त महासागर के सभी दृष्टांतो की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक  करके। -clickdrishtant mahasagar list

https://www.bhagwatkathanak.in/p/blog-page_24.html

kahani bataiye (कड़वी ककड़ी)

 kahani bataiye


0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close