motivational kahani in hindi
आत्मविश्वास
एक बार मिथिला के राजा जनक ने अश्वमेध यज्ञ किया। यज्ञ के आयोजन के अवसर पर उन्होंने देश के सभी विद्वानों को आमंत्रित किया था।
कई दिनों तक विभिन्न विषयों पर परस्पर चर्चा चलती रही। इस चर्चा में सबकी बुद्धि का व्यायाम होता रहा। अनेक प्रकार की शंकायें उपस्थित होती रहीं और उनका समाधान होता रहा।
एक दिन राजा जनक ने सभा में एक हजार गायें लाकर खड़ी कर दी। इसके बाद विद्वानों को संबोधित करते हुए कहा-“आप लोगों में से जो भी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ विद्वान समझता हो, वह इन गायों को ले जाये।"
यह कहकर राजा चुप हो गये और सभी विद्वान एक-दूसरे को देखने लगे। किसी एक व्यक्ति को यह सिद्ध करना कि वह सर्वश्रेष्ठ विद्वान है, कोई सरल कार्य नहीं था क्योंकि वहाँ एक से बढ़कर एक विद्वान उपस्थित थे।
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बड़ी कठिन परिस्थिति थी। किसी को साहस नहीं हो पा रहा था कि वह कह सके-“मैं इन विद्वानों में सबसे श्रेष्ठ हूँ और इन गायों को ले जाने का अधिकार रखता हूँ।"
बहुत अधिक समय बीत गया पर कोई भी विद्वान स्वयं को सर्वश्रेष्ठ घोषित नहीं कर सका।
राजा जनक को बड़ी चिन्ता हो रही थी कि इन गायों को ले जाने वाला एक भी विद्वान इस सभा में उपस्थित नहीं है। उन्होंने कहा- “क्या आप लोगों में एक भी ऐसा विद्वान नहीं है जो स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझता हो?"
चारों ओर सन्नाटा छा गया। तभी याज्ञवल्क्य एकदम उठकर खड़े हो गये। उन्होंने अपने शिष्य समीक से कहा- “इन गायों को हाँककर ले जाओ और अपने आश्रम में बाँध दो।"
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उनका कथन अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि वहाँ उपस्थित लोगों में खलबली मच गई। खलबली मचने का कारण यह था कि याज्ञवल्क्य वहाँ उपस्थित सभी विद्वानों से कम उम्र के थे। इसलिए कोई भी उनके इस दावे को स्वीकार करने को तैयार नहीं था और सहन नहीं कर पा रहा था।
विद्वानों ने राजा जनक से कहा-“राजन्! यह कल का जन्मा बच्चा सर्वश्रेष्ठ विद्वान कैसे हो सकता है! इसके दु:साहस से हम सब अपमानित अनुभव कर रहे हैं।"
महर्षि याज्ञवल्क्य ने तुरंत ही उन सबको उत्तर दिया- “मैं मानता हूँ कि मैं कल का बच्चा हूँ, आयु में आप सभी मुझसे बड़े हैं। साथ ही यह भी कि मुझसे कहीं अधिक श्रेष्ठ विद्वान यहाँ बैठे होंगे।
वे सभी ज्ञानी हैं, प्रकाण्ड विद्वान हैं। पर यह भी सच है कि उनमें आत्मविश्वास की कमी है। इसी कारण वे स्वयं को सर्वश्रेष्ठ विद्वान कहते हुए डरते हैं। यही डर उनके लिए कमजोरी का कारण बन रहा है। जिसे अपनी विद्वत्ता पर विश्वास ही नहीं है, वह ज्ञानी होते हुए भी अज्ञानी है।"
तभी राजा जनक ने कहा-“इन गायों को ले जाने का याज्ञवल्क्य ही अधिकार रखते हैं, वे ही इन्हें ले जायेंगे।" आत्मविश्वास स्वयं में एक बड़ा गुण है।