F motivational kahani in hindi (सार्थक उत्तर) - bhagwat kathanak
motivational kahani in hindi (सार्थक उत्तर)

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(सार्थक उत्तर) 

एक राजा था। वह समय-समय पर अपने न्यायाधीशों की परीक्षा लेता रहता था। इस क्रम में एक बार उसने न्यायाधीश से तीन प्रश्न पूछे-


1. ईश्वर कहाँ है? 2. वह किस दिशा में अपना मुख रखता है? 3. ईश्वर क्या करता है? न्यायाधीश उत्तरों की खोज में लग गया ताकि वह राजा को सन्तुष्ट कर सके। 


इस खोज में वह कुछ परेशान-सा रहने लगा। उसके नौकर ने जब उसकी परेशानी का कारण पूछा तो न्यायाधीश ने नौकर को अपनी स्थिति समझा दी।


पूरी बात को समझ लेने के बाद नौकर ने अपने स्वामी से कहा-“आप किसी प्रकार की चिन्ता न करें। मैं राजा को इन प्रश्नों के उत्तरों से सन्तुष्ट कर दूंगा। किसी प्रकार ऐसा माहौल बना दीजिए कि मुझे राजा के समक्ष उत्तर देने का अवसर प्राप्त हो जाये।"

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न्यायाधीश ने एक पत्र उस नौकर को देकर कहा-“तुम यह पत्र राजा को दे देना।"


पत्र में लिखा था कि मैं अचानक बीमार हो गया हूँ, अत: आपके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए मैं अपने नौकर को भेज रहा हूँ।


नौकर राजा के पास गया और न्यायाधीश का पत्र उसे थमा दिया। राजा ने पत्र पढ़ा तो उसने अपने प्रश्न दुहरा दिये। नौकर ने कहा-“वे प्रश्न मैं आपके स्थान पर बैठकर ही सुनूँगा और तभी उत्तर दूंगा।


 आप पहले यह समझ लीजिए कि प्रश्न पूछने वाला शिष्य होता है और उत्तर देने वाला गुरु। मुझे गुरु का सम्मानित स्थान दिया जाये।"

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राजा ने उसे अच्छे वस्त्र पहनाये और उसको अपने राज-सिंहासन पर बिठाते हुए कहा-“यदि उत्तर सन्तोषजनक नहीं हुए तो तुम्हें मृत्युदण्ड दे दिया जायेगा।"


नौकर ने यह शर्त सहर्ष स्वीकार कर ली और राजा से एक गाय मँगवाई। गाय आ गई तो उसने राजा से पूछा-“गाय में दूध है?" राजा का उत्तर था-“हाँ, है।" नौकर ने पूछा-“कहाँ?"


राजा ने उत्तर दिया-“इसके थनों में।" नौकर ने बात काटी-“नहीं, दूध गाय के सारे शरीर में है।"

इसके बाद नौकर ने दूध मँगवाया और राजा से पूछा-“क्या दूध में मक्खन है?"


"है।" राजा ने उत्तर दिया। नौकर ने पूछा-“कहाँ है?" राजा इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दे सका।

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नौकर ने कहा- “परमात्मा दूध में मक्खन की तरह समस्त संसार में व्याप्त है। जिस तरह दूध प्राप्त करने के लिए गाय को दुहना पड़ता है उसी तरह परमात्मा को पाने के लिए भी हृदय को दुहना पड़ता है।"


राजा सन्तुष्ट हो गया। दूसरे प्रश्न के उत्तर के लिए नौकर ने एक मोमबत्ती मँगवाई।


मोमबत्ती को जलाकर उसने राजा से पूछा- "इस मोमबत्ती का प्रकाश किस दिशा में है? कोई उत्तर न मिलने पर उसने बताया-“जिस प्रकार मोमबत्ती का यह प्रकाश समान रूप से सभी दिशाओं में है उसी प्रकार परमात्मा सभी दिशाओं में समान रूप से देखता है।"


तीसरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए नौकर ने न्यायाधीश को बुलवाया। न्यायाधीश ने आकर नौकर को राज-सिंहासन पर बैठा देखा तो उसको बड़ा आश्चर्य हुआ।


उसे आश्चर्यचकित होते देख नौकर ने कहा-“यह राजा के तीसरे प्रश्न का उत्तर है। ईश्वर इसी प्रकार निरन्तर परिवर्तन करता रहता है।


वह नौकर को राजा और राजा को भिखारी बनाने का कार्य करता रहता राजा अपने प्रश्नों के नौकर द्वारा दिये गये उत्तरों से प्रसन्न हो गया और उस नौकर को न्यायाधीश बना दिया।

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