कहानी इन हिंदी PDF
(गुरु की खोज)
एक सन्त थे डायोजिनिस। एक बार उनके पास एक व्यक्ति आया। सन्त ने उनके आने का प्रयोजन पूछा तो वह बोला-“मैं किसी को अपना गुरु बनाना चाहता हूँ।
कृपया किसी ऐसे व्यक्ति का नाम बताकर मेरा पथ-प्रदर्शन करें जो अच्छा हो।" डायोजिनिस ने उससे प्रश्न किया-“क्या तुम्हारे अन्दर धैर्य धारण करने की शक्ति है?"
व्यक्ति बोला- “मैं यह सिद्ध करके दिखा दूँगा कि मेरे अन्दर धैर्य-धारण की असीम शक्ति है।" - सन्त ने मार्ग-दर्शन किया-“तू आम के पेड़ की एक शाखा तोड़ ले।
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इस शाखा को लेकर सड़क के किनारे बैठ जा। प्रत्येक आने-जाने वाले से प्रश्न कर कि यह शाखा किस पेड़ की है। यदि उसे कोई आम की बताये तो तू कहना-नहीं, यह कटहल की शाखा है।
यदि कोई कटहल की बताये तो तू असहमत होते हुए कहना कि यह गूलर की टहनी है। मतलब यह कि बताने वाला टहनी को जिस पेड़ की बताये तू उससे विपरीत अन्य किसी पेड़ की टहनी बताना।
तुम्हारे उत्तर को सुनकर जो तुम्हें निरुत्तर कर दे, समझ लेना कि वह तेरा सबसे अच्छा गुरु बनने योग्य है।"
- सन्त के निर्देश के अनुसार वह व्यक्ति आम की एक शाखा तोड़ लाया और सड़क के किनारे बैठ गया।
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वहाँ से आने-जाने वाले लोगों से उस टहनी के पेड़ का नाम पूछने लगा। उत्तर देनेवाला जिस वृक्ष का नाम लेता, उससे वह असहमत होकर किसी दूसरे वृक्ष की टहनी बता देता। लोग उसे पागल कहते और आगे बढ़ जाते।
कई दिन बीत गये पर वह अपना गुरु नहीं खोज सका। अन्ततः एक व्यक्ति उसके उत्तर को सुनकर बोला-“किसी का नाम और रूप ले लेना कल्पना की उपज है।
हम किसी भी वस्तु का नाम कल्पना के आधार पर ही रखते हैं। इस शाखा को हम आम, कटहल, नीम, जामुन या और कुछ भी कहें, कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
तू यह तो जानता है कि क्रम-विकास के नियम के अनुसार आम भी कटहल का जीव हो सकता है। यदि तू जानता है तो तू जाग्रत अवस्था में है।
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इसी कारण से तुझमें यह भाव उत्पन्न हुआ होगा। तू जो कुछ भी बताता है अपने निश्चय के आधार पर ही बताता होगा।
और यदि निश्चय के आधार पर न बताता हो तो इसका काई-न-कोई प्रयोजन तो होगा ही। और तब मुझ जैसा व्यक्ति जिसका इस बात से कोई प्रयोजन नहीं है, कुछ भी नहीं कह सकता।
इस सम्बन्ध में कुछ कहना मुझ जैसे अज्ञानी की शक्ति से बाहर है।
उस व्यक्ति ने तत्व की ये बात सुनी तो उसने समझ लिया कि यह कोई पहुँचा हुआ सिद्ध महात्मा है। उसने तुरन्त उसके चरणों में सिर झुकाकर उससे मंत्र-दीक्षा ले ली।