prerak story in hindi
(सबसे अच्छा कौन और क्या)
एक बड़ा बुद्धिमान राजा था। जब भी कभी कोई व्यक्ति उसके पास आता था, वह तीन प्रश्न करता था।
इन प्रश्नों के अनेक व्यक्तियों से उसे भिन्न-भिन्न उत्तर मिले पर वह किसी भी उत्तर से सन्तुष्ट नहीं हुआ।
एक दिन राजा घूमने गया। घूमते-घूमते एक आश्रम पर जा पहुंचा। आश्रम एक साधु का था। जिस समय राजा वहाँ पहुँचा, साधु आश्रम के पेड़-पौधों को पानी से सींच रहा था।
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उसने राजा को देखा तो लगा कि राजा थका हुआ है। यह देख उसने पौधों को सींचना छोड़ दिया और राजा के लिए कुछ फल और ठंडा जल ले आया। उसी समय वहाँ एक अन्य साधु आ गया। उसके साथ एक घायल व्यक्ति भी था।
जैसे ही आश्रम के साधु ने घायल व्यक्ति को देखा, वह राजा को छोड़कर घायल व्यक्ति के पास आ गया। घाव साफ करके उन पर दवा का लेप कर दिया।
आश्रम के साधु के आचरण का राजा के मन पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा। राजा ने साधु को विद्वान मानकर अपने वे ही तीन प्रश्न उससे भी पूछे। साधु इन प्रश्नों को सुनकर मुस्कराने लगा। उसने मधुर वाणी में कहा-“राजन्! आपने अभी आश्रम में जो कुछ देखा है उसी में आपके तीनों प्रश्नों के उतर छिपे हुए हैं।"
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साधु की बात को राजा समझ नहीं पाया। यह बात साधु ने भी समझ ली। वह फिर बोला-“जब आप आये थे तो मैं पौधों को सींच रहा था। यह मेरा कर्तव्य था। आपको आया देख मैंने पौधों को सींचना छोड़ दिया और अतिथि स्वागत करने आ पहुँचा।
जब आपकी थकान और प्यास शांत करने में लगा था तो वह घायल व्यक्ति आश्रम में आ पहुँचा। मैं अतिथि-सेवा छोड़कर घायल की सेवा में जुट गया।
अतः समझ लीजिए जो भी तुम्हारी सेवा प्राप्त करने के लिए तुम्हारे पास आये, उस समय वही तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ मनुष्य है। उसकी सेवा-सुश्रुषा करके उसे सन्तुष्ट करना ही सबसे अच्छा कर्म है। कार्य करने के लिए वर्तमान ही सबसे उत्तम समय है।"
साधु के उत्तर से राजा अत्यन्त प्रसन्न हो गया, क्योंकि उसे अपने तीनों प्रश्नों के उचित और सबसे उत्तम उत्तर मिल गये थे।