भाव का भूखा हूँ /bhav ka bhukha hu mai lyrics

 भाव का भूखा हूँ /bhav ka bhukha hu mai lyrics

भाव का भूखा हूँ

भाव का भूखा हूँ मैं और भाव ही बस सार है। 
भाव से मुझको भजे तो भव से बेड़ा पार है।

अन्न धन और वस्त्र भूषण कुछ न मुझको चाहिए।
 आप हो जायें मेरे बस यही मेरा सत्कार है।

भाव बिन कुछ भी वो देवे मैं कभी लेता नहीं। 
भाव से एक फूल भी दे तो मुझे स्वीकार है॥

भाव बिन सुनी पुकारे मैं कभी सुनता नहीं। 
भाव पूरित टेर ही करती मुझे लाचार है।

जो मुझमें ही भाव रखकर लेता है मेरी शरण। 
उसके और मेरे हृदय का एक रहता तार है।

भाव जिस जन के नहीं उसकी मुझे चिन्ता नहीं। 
भाव वाले भक्त का भरपूर मुझ पर भार है।

बाँध लेते भक्त मुझको प्रेम की जंजीर में। 
भाव वश इस भूमि पर होता मेरा अवतार है।

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भाव का भूखा हूँ /bhav ka bhukha hu mai lyrics

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