मुझको ऐसा दो संगीत /mujhko aisa do sangeet lyrics
मुझको ऐसा दो संगीत
मुझको ऐसा दो संगीत निशिदिन स्वर की श्रुति श्रवणकर तुझसे होवे प्रीत ॥
स्वर से स्वर मिल जाये भगवन्, ताल से ताल मिलाऊँ।
तेरी लय में लय मिल जाये, तुझे छोड़ नहिं जाऊँ।
सा से शरण में आकर तेरी, रा से रोज रिझाऊँ।
गा से गाऊँ गीत तुम्हारे, म से मन्दिर आऊँ॥
प से पद रज शीष चढ़ाकर, ध से धन्य हो जाऊँ।
दास प्रभाकर ऐसा वर दो, नी से नीर बहाऊँ ॥
मुझको ऐसा दो संगीत /mujhko aisa do sangeet lyrics
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