छगन मगन मेरे लाल कौं chhagan magan mere lal ko
छगन मगन मेरे लाल कौं, आजा निन्दिया आ ।
चञ्चल मोहन श्याम के नैनन बीच समा ।।
जप, तप, पूजा, पाठ सों विधिना दियौ मोहि लाल,
सो जा कन्हैया लाडिले, मैया बजावै ताल ।
कैसैं सुलाऊँ लाल कौं, धीरे धीरे लोरी गा ।।
छगन............ ॥१॥
सोवै कन्हैया पालना, याकी है छवि अभिराम,
आँगन की शोभा, मेरो मन मोहन घनश्याम ।
आजा री निन्दिया लाल कौं, मैया रही तो कूँ बुला
छगन............ ॥२॥