साँवरिया, बृज के हो तुम तो अधार savariya vraj ke ho tum aadhar lyrics
साँवरिया, बृज के हो तुम तो अधार ।
बाँस काटि बंशी बनवाई,
सोने चाँदी से मढ़वाई,
नूपुर लगाए दो चार-मेरे श्याम, नूपुर लगाए दो चार ।
साँवरिया बृज के हो...... ।।१।।
मोर मुकुट तेरे शीष पै सोहै,
बंशी तेरी मुनि मन मोहै,
ऐसी बंशी बजाए बार बार । मेरे श्याम बंशी......
साँवरिया बृज के हो...... ।।२।।
बंशीवट पे बंशी बजावै,
यमुना तट पै रास रचावै,
वहाँ नूपुर की होय झंकार । मेरे श्याम नूपुर......
साँवरिया बृज के हो..... ।।३।।
कारी कन्हैया, कारी कमरिया,
कारे वत्स संग कारी हैं गैय्या,
कारी कालिन्दी की धार, मेरे श्याम कारी......
साँवरिया बृज के हो...... ।।४।।
बृज गोपिन के प्राण पियारे,
मेरे भी बन जाओ सहारे,
विनती यही बार-बार । साँवरिया, बृज के हो तुम तो अधार ।।५।।
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