कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी kripa ki na hoti jo aadat tumhari lyrics
कृपा की न होती जो आदत तुम्हारी,
तो सूनी ही रहती अदालत तुम्हारी,
ओ दोनों के दिल में जगह तुम न पाते
तो किस दिल में होती हिफाजत तुम्हारी,
कृपा की ना होती..…...
ग़रीबों की दुनिया है आबाद तुमसे,
ग़रीबों से है बादशाहत तुम्हारी
कृपा की ना होती........,
न मुल्जिम ही होते न तुम होते हाकिम,
न घर-घर में होती इबादत तुम्हारी,
कृपा की ना होती.........
तुम्हारी उल्फ़त के दृग ‘बिन्दु’ हैं वे,
तुम्हें सौंपते है अमानत तुम्हारी,
कृपा की ना होती.......
एक टिप्पणी भेजें
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |