रे मुरलिया हरि की re muraliya hari ki lyrics

रे मुरलिया हरि की re muraliya hari ki lyrics

हरे मुरलिया हरि की मधुवन में धूम मचाई। 
है वृन्दवन में वंशी बाजी तीन भुवन धुन छाई।
ले वीणा नारद जी छौड़े शिव समाधि विसराई॥ रे मुरलिया... 

जैसे तैसे उल्टे सीधे गृह कारज निपटाई। 
उल्टे कर शृंगार गोपियाँ वंशीवट को आई॥ रे मुरलिया..... 

खीर नमक दाल में शक्कर मक्खन में मिरचाई।
गौ को साग ससुर को भूसी ऐसी मति बौराई ॥ रे मुरलिया... 

पग में पहुँची हाथ में पायल कान में नथनी सजाई। 
नैन महावर कर अंजन विन्दी कपोल चिपकाई । रे मुरलिया.....

रे मुरलिया मुरिलया हरि की।
एक जोगी खड़ा तेरे द्वार ak jogi khada tere dwar lyrics

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