सोच समझ या मग पग धरना। braj ke pad
सोच समझ या मग पग धरना।
यह मग प्रेम नाम कर बाजै, हाँसी जान न धोके पडना।।
या मग में पग वीर धरै सो, जो जाने जिये जीवत मरना।
नैन नीर तन बेसुधि बेकल पागल हो दिन रैन विचरना।।
हा प्रीतम हा प्रीतम रट मुख प्रेम-भाव नित सेवन करना।
चढ़ि के मोम तुरंग अंग पै 'श्याम' अनल में कूदि निकरना।।