मैं गिरधर आगे नाचूँगी। krishna ke pad
मैं गिरधर आगे नाचूँगी।
नाच नाच पिया रसिक रिझाऊँ प्रेमीजन को जानूंगी।।
प्रेम प्रीति के बाँधि चूँघरू सूरत की कछनी कालूंगी।
लोक लाज कुल की मर्यादा यामें एक न राखूगी।।
पिव के पलंग पै जा पौढूंगी 'मीरा' हरि रंग राचूँगी।