प्रेम सदन की कठिन गली री। kanha ke pad प्रेम सदन की कठिन गली री। kanha ke padप्रेम सदन की कठिन गली री। क जानत ब्रजचन्द्र साँवरो के जानत वषभान-लली री।। जग-कुल कानिहं छोड अपनपन चले शीश धरि हाथ तली री। लालतावहारिणि' वसै प्रेमपुर जो पावै उन कृपा भली री।। सभी पदों की सूची देखने के लिए क्लिक करें Bhagwat Kathanak Katha Hindibraj ke pad प्रेम सदन की कठिन गली री। kanha ke pad Share this post