श्याम दृगन की चोट सहे को। krishna ji ke pad श्याम दृगन की चोट सहे को। krishna ji ke padश्याम दृगन की चोट सहे को। जिन लागी तिनही तन जानी पीर हिय-लगि कासों कहै को।। पल में होत सुजान बावरो विचरत बेकल भौन रहै को। 'ललितविहारिणि' नैन तीर लगि धीर धरै सो बीर अहै को।। सभी पदों की सूची देखने के लिए क्लिक करें Bhagwat Kathanak Katha Hindibraj ke pad श्याम दृगन की चोट सहे को। krishna ji ke pad Share this post