F गौरश्याम चरणारविन्द पर जिसको खूब मचलते देखा। braj ke pad - bhagwat kathanak
गौरश्याम चरणारविन्द पर जिसको खूब मचलते देखा। braj ke pad

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गौरश्याम चरणारविन्द पर जिसको खूब मचलते देखा। braj ke pad

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गौरश्याम चरणारविन्द पर जिसको खूब मचलते देखा। braj ke pad

गौरश्याम चरणारविन्द पर जिसको खूब मचलते देखा। 
नैन बान मुस्कान संग फँसि फिर नहिं नैक सम्भलते देखा।। 
'ललितकिशोरी' युगल इश्क में, बहुतों के घर छलते देखा। 
डूबा प्रेमसिन्धु में कोई हमने नहीं उछलते देखा ।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi
braj ke pad 

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