हमारौ मुरली वारो स्याम। hamaro muirli varo shyam
हमारौ मुरली वारो स्याम।
बिनु मुरली वनमाल चन्द्रिका, नहिं पहचानत नाम।।
गोप रूप वृन्दावन-चारी, ब्रज जन पूरण काम।
याही सों हित चित्त बढ़ौ नित, दिन दिन पलछिन याम।।
नन्दीसुर गोवरधन गोकुल बरसानों विश्राम ।
'नागरिदास' द्वारका मथुरा, इन सौं कैसो काम।।