इस नन्द के फरजन्द की यह अजब es nanda ke farjanda ki
इस नन्द के फरजन्द की यह अजब परी है बान।
भकटी कमान नवाय मारे बान नयनन तान।।
चीरा बँधे हैं जरकसी सिर पेच रत्न हीरान।
तिरछा मुकुट धरे सीस पै कुण्डल झलकते कान।।
गज मुक्ता लटके नासिका मुख सोहैं बीरा पान।
चितवन है जाकी सेल सम बच सके कौन सुजान।।
घुघरावली अलकावली की बदन पै विथरान।
धनि पलक 'ललितलडैती' यह, कहा जिये कल्प समान।।