F गोपी प्रेम की ध्वजा। gopi krishna pad - bhagwat kathanak
गोपी प्रेम की ध्वजा। gopi krishna pad

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गोपी प्रेम की ध्वजा। gopi krishna pad

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 गोपी प्रेम की ध्वजा। gopi krishna pad 

गोपी प्रेम की ध्वजा। gopi krishna pad

गोपी प्रेम की ध्वजा। 
जिन गोपाल किए वश अपने उर धर श्याम भुजा।। 
शुक मुनि व्यास प्रशंसा कीन्हीं उद्धव सन्त सराहिं। 
भूरि भाग्य गोकुल की वनिता अति पुनीत जग माहिं।। 
कहा भयो जो विप्रकुल जन्म्यो सेवा सुमिरन नाहिं। 
श्वपच पुनीत “दास परमानन्द" जो हरि सन्मुख जाहिं।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi
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