हम तो श्री गौरांग उपासी। ham to shri gaurang upasi
हम तो श्री गौरांग उपासी।
आनन्दनिधि करुणानिधि रसनिधि प्रगटे विपिन विलासी।।
वहारािण अपु वपु धास्यौं ले महाभाव सुरासी।
माण रूप सनातन तहां नित करत खवासी।।
वहारािण अपु वपु धास्यौं ले महाभाव सुरासी।
माण रूप सनातन तहां नित करत खवासी।।
महा माधुरी प्रगटित छिन छिन भक्तन के सुखरासी।
'श्रीबन विहारिन' दासी के हित विहरत निकुञ्ज निवास