F जो सुख होत गोपालहिं गाये। jo sukh hot gopalahi gaye - bhagwat kathanak
जो सुख होत गोपालहिं गाये। jo sukh hot gopalahi gaye

bhagwat katha sikhe

जो सुख होत गोपालहिं गाये। jo sukh hot gopalahi gaye

जो सुख होत गोपालहिं गाये। jo sukh hot gopalahi gaye

 जो सुख होत गोपालहिं गाये। jo sukh hot gopalahi gaye

जो सुख होत गोपालहिं गाये। jo sukh hot gopalahi gaye

जो सुख होत गोपालहिं गाये। 
सो नहिं होत किये जप तप के कोटिक तीर्थ नहाया। 
दिय लत नहिं चारि पदारथ चरण-कमल चित लाये। 
तीन लोक तृण सम करि लेखत नन्दनन्दन उर आये।। 
वंशीवट वृन्दावन यमुना, तजि बैकुण्ठ को जाये। 
'सूरदास' हरि को सुमिरन करि, बहुरि न भव चलि आये।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi

 जो सुख होत गोपालहिं गाये। jo sukh hot gopalahi gaye


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