प्राणी राम नाम गुण गा ले। prani ram nam gun ga le
प्राणी राम नाम गुण गा ले।
नरतन चोला, परम अमोला, विषयन काहे अकारथ खोवै।
राधेश्याम भज सीताराम भज, जीवन मुक्त बनाले।।
या तन को कहो कौन भरोसो, प्राण पखेरू आवै न आवै।
स्वाँस स्वाँस रट राधे कृष्णा, यम की भीति मिटाले ।।
कलियुग केरो यही धन तेरो, और न साधन होत निबेरो।
कलियुग कवल नाम अधारा साधन यही कमाले।।
प्रम सगा ल क्यों शरमावै. पाप करम तोहे लाज न आवै।
पागल बन जा गाले रोले. जग की लाज छुड़ाले ।।
पतितन-पावन पाप-नशावन, पतित-उद्धारी कलि-मलहारी।
ऊठत बैठत "श्याम' राम भज जो चाहै सो पाले ।।

