ममता तू न गयी मेरे मन तें। mamta tu na gayi mere man so
ममता तू न गयी मेरे मन तें।
पाके केस जनम के साथी, लाज गई लोकन तें।
तन थाके, कर कंपन लागे, ज्योति गई नैनन तें।।
सरवन बचन न सुनत काहु के, बल गये सब इन्द्रिन तें।
टे दसन बचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें।।
टे दसन बचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें।।
कफ पित बात कण्ठ पर बैठे, सुतहिं बुलावत कर तें।
भाई-बन्धु सब परम पियारे, नारि निकारत घर तें।।
जैसे शशि-मण्डल बिच स्याही, छुटै न कोटि जतन तें।
'तलसिदास' बलि जाउँ चरनतें, लोभ पराये धनतें।।