श्याम ! तेरी मुरली नेक बजाऊँ। surdas ji ke pad
श्याम ! तेरी मुरली नेक बजाऊँ।
जो जो तान लेत मुरली में, सोई सोई गाय सुनाऊँ।।
हमरे भूषण तुम सब पहरो मैं तुम्हरे सब पाऊँ।
हमरी बिंदिया तुमही लगाओ, मैं शिर मुकुट धराऊँ।।
तुम दधि बेचन जाओ वृन्दावन, मैं मग रोकन आऊ।
तम्हरे शिर माखन की मटकिया हौं मिल ग्वाल लुटाऊ।।
मानिनी होकर मान करो तुम हौं गहि चरण मनाऊ।
'सूरश्याम' तुम बनो राधिका, हौं नन्दलाल कहाऊँ।।