F सुख के सब साथी दुःख में न कोय sukh ke sab sathi - bhagwat kathanak
सुख के सब साथी दुःख में न कोय sukh ke sab sathi

bhagwat katha sikhe

सुख के सब साथी दुःख में न कोय sukh ke sab sathi

सुख के सब साथी दुःख में न कोय sukh ke sab sathi

 सुख के सब साथी दुःख में न कोय sukh ke sab sathi

सुख के सब साथी दुःख में न कोय sukh ke sab sathi

सुख के सब साथी दुःख में न कोय
तेरा नाम इक साँचा दूजा न कोय, 
न कुछ तेरा न कुछ मेरा ये जग जोगी वाला डेरा। 
राजा हो या रंक सभी का अन्त एक सा होय।। 
बाहर की तू माटी फाँके मन के भीतर क्यों न झाँके। 
उजले तन पर मान किया और मन की मैल न धोय ।।

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Bhagwat Kathanak            Katha Hindi
braj ke pad 

 सुख के सब साथी दुःख में न कोय sukh ke sab sathi


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