सुख के सब साथी दुःख में न कोय sukh ke sab sathi
सुख के सब साथी दुःख में न कोय
तेरा नाम इक साँचा दूजा न कोय,
तेरा नाम इक साँचा दूजा न कोय,
न कुछ तेरा न कुछ मेरा ये जग जोगी वाला डेरा।
राजा हो या रंक सभी का अन्त एक सा होय।।
बाहर की तू माटी फाँके मन के भीतर क्यों न झाँके।
उजले तन पर मान किया और मन की मैल न धोय ।।