प्रीति की रीति कौ पैंडोहि न्यारौ। surdas ke pad lyrics
प्रीति की रीति कौ पैंडोहि न्यारौ।
के जानत वषभाननन्दिनी, कै जानत यह कान्हर कारा।
सहजै प्रीति न होय सखी री, यह अपने मन सोच विचारा।।
प्रेम पथ को चलन बाँकुरो, रसिक बिना को समझन वारो।
'सूरदास' यह प्रीति कठिन है, सीस दिये भी न होत निभारो।।