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या ब्रज में हरि होरी मचाई ya braj me hari hori machayi

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या ब्रज में हरि होरी मचाई ya braj me hari hori machayi

या ब्रज में हरि होरी मचाई ya braj me hari hori machayi

 या ब्रज में हरि होरी मचाई ya braj me hari hori machayi

या ब्रज में हरि होरी मचाई 
इतसो आई कुमरि राधिका उतसो कुमर कन्हाई 
खेलत फाग परसपर हिलमिल शोभा वरनि न जाई
कि घर घर बजत बधाई, या व्रज में.... 

बाजत ताल मृदंग साज ढफ मंजीरा सहनाई 
उडत गलाल लाल भये बादर केशर कीच मचाई
मन हो मधवा भर लाई या वन में.... 

राधा सेन दई सब सखियन झुण्ड झुण्ड जुरि आई 
पकरो री पकरो श्याम सुन्दर को ये कहूं भाग न जाई
करो अपने मन माई, या व्रज में.... 

छीन लई याकी मुरली पीताम्बर सिरते चूनर उढ़ाई 
बेंदी माल तपन बिच कजरा नकबेसर पहनाई
मनो नई नारि बनाई, या व्रज में.... 

फगुआ किये दिन जाने न दूंगी लाख करो चतुराई 
कहां गये तेरे सखा संग के कहाँ गये बलभाई
तुम्हें जो लेय हू छाई, या व्रज में.... 

रासविलास करत वृन्दावन व्रजवनिता जदुराई
राधेश्याम युगल जोड़ी पे बार बार बलि जाई
प्रीती रहत समाई, या व्रज में....
या ब्रज में हरि होरी मचाई ya braj me hari hori machayi

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