संतो के वचन समाज परिवर्तन
ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके अमृतोपदेश
यदि जीवनमें हमने बहुत-सी भोगसामग्री एकत्र कर ली, बहुत-सा मान-सम्मान प्राप्त किया, बहुत नाम कमाया, हजारों-लाखों रुपये, विपुल सम्पत्ति, हाथी-घोड़े, नौकरचाकर तथा बहुत बड़े परिवारका संग्रह किया; किंतु यदि जीवनका वास्तविक उद्देश्य सिद्ध नहीं किया तो हमारा कियाकराया सब व्यर्थ ही नहीं हो गया; बल्कि यह सब करने में जो हमने पापाचरण किया, उसके फलरूपमें हमें मरकोंकी प्राप्ति होगी, हम नीचेकी योनियोंमें ढकेले जायेंगे।
इसके विपरीत यदि हमारा जीवन लौकिक दृष्टि से कष्टसे बीता, हमें मान प्राप्त नहीं हुआ; बल्कि जगह-जगह हम दुरदुराये गये, हमारा किसीने आदर नहीं किया, किसीने हमारी बात नहीं पूछी; किंतु हमने अपने जीवनका सदुपयोग किया, जिस कार्यके लिये हम आये थे, उस कार्यको बना लिया तो हम कृतकार्य हो गये और हमारा जीवन धन्य हो गया।