भारतीय महापुरुषों के अनमोल विचार
ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके अमृतोपदेश
उत्तम पुरुष उनको समझना चाहिये जिनमें स्वार्थ, अहंकार, दम्भ और क्रोध नहीं हैं, जो मान- -बड़ाई या पूजा नहीं चाहते, जिनके आचरण परम पवित्र हैं, जिनको देखने और जिनकी वाणी सुननेसे परमात्मामें प्रेम और श्रद्धाकी वृद्धि होती है, हृदयमें शान्तिका प्रादुर्भाव होता है और परमेश्वर, परलोक तथा सत्-शास्त्रोंमें श्रद्धा उत्पन्न होकर कल्याणकी ओर झुकाव होता है।