मोरें मन प्रभु अस बिस्वासा। राम ते अधिक राम कर दासा॥
भगवान्का भजन करनेसे भगवान्में प्रेम हो जाता है। इसीलिये ही भगवान्से बढ़कर भगवान्के भक्तोंकी महिमा बतायी गयी है
मोरें मन प्रभु अस बिस्वासा। राम ते अधिक राम कर दासा॥
राम सिंधु घन सज्जन धीरा । चंदन तरु हरि संत समीरा॥
तुलसीदासजी कहते हैं-मुझे यह विश्वास है कि रामसे भी बढ़कर रामका दास है। राम समुद्रके समान हैं, भक्त बादलोंकी तरह हैं बादल जैसे वर्षा करते हैं वैसे ही भगवान के भक्त भगवान के प्रेम की वर्षा करते हैं।
तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग
हे तात! एक क्षणके सत्संगके बराबर स्वर्ग या कहाँसे मुक्तिका सुख भी नहीं हो सकता। जिस सत्संगसे भगवान् नहीं है।' मिल जायँ, उनसे प्रेम हो जाय, उसकी महिमा कौन गा सकता है !