F अरब खरब लौं द्रव्य है, उदय अस्त लौं राज। - bhagwat kathanak
अरब खरब लौं द्रव्य है, उदय अस्त लौं राज।

bhagwat katha sikhe

अरब खरब लौं द्रव्य है, उदय अस्त लौं राज।

अरब खरब लौं द्रव्य है, उदय अस्त लौं राज।

 जिसको आप 'मेरी वस्तु' कहते हैं, वह क्या सदा आपके साथ रहेगी? क्या आप उसके साथ सदा रहेंगे? संसारका संयोग अनित्य है, वियोग नित्य है। अन्तमें वियोग ही बचेगा, संयोग नहीं। अतः संयोगमें ही वियोगका दर्शन कर लें।

अरब खरब लौं द्रव्य है, उदय अस्त लौं राज।
तुलसी जो निज मरन है, तो आवहि किहि काज॥ 

उम्र निरन्तर 'नहीं' में जा रही है। मृत्यु निरन्तर समीप आ रही है। यह सच्ची बात है। जो सच्ची बातका आदर नहीं करता, उसको दुःख पाना ही पड़ेगा। 

आप अच्छा काम करो या बुरा काम, उम्र तो प्रतिक्षण अपने धुनमें जा रही है। वास्तवमें सत्ता और महत्ता तो एकमात्र परमात्माकी ही है। वह बड़े-से-बड़े और सूक्ष्म-से-सूक्ष्म सभी जीवोंका भरण-पोषण करता है, उनके कर्मोंका फल भुगताता है। उस परमात्माके समान कोई वक्ता, श्रोता, संत, है धनवान् आदि नहीं है।

अरब खरब लौं द्रव्य है, उदय अस्त लौं राज।

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