F भक्तमालकी महिमा bhaktamal katha - bhagwat kathanak
भक्तमालकी महिमा bhaktamal katha

bhagwat katha sikhe

भक्तमालकी महिमा bhaktamal katha

 भक्तमालकी महिमा bhaktamal katha

 भक्तमालकी महिमा bhaktamal katha

भक्तमालका मंगलाचरण bhaktamal manglacharan
पंच रस सोई पंच रंग फूल थाके नीके, पीके पहिराइवे को रचिकै बनाई है।
वैजयन्ती दाम भाववती अलि ‘नाभा', नाम लाई अभिराम श्याम मति ललचाई है।
धारी उर प्यारी, किहूँ करत न न्यारी, अहो! देखौ गति न्यारी ढरिपायनको आई है।
भक्ति छबिभार, ताते, नमितश्रृंगार होत, होत वश लखै जोई याते जानि पाई है॥५॥
प्रस्तुत कवित्तमें श्रीभक्तमालको पंचरंगी वैजयन्ती माला बताकर उसकी महिमा, सुन्दरता और भगवत्प्रियताका वर्णन किया गया है। पूर्व कवित्तमें कहे गये पाँच रस ही मानो फूलोंके सुन्दर गुच्छे हैं, भाववती नाभा नामकी सखीने अपने प्रियतमको पहनानेके लिये इसे अच्छी तरहसे बनाया है।
यह वैजयन्ती माला इतनी सुन्दर है कि लोकाभिराम श्यामसुन्दर श्रीरामकी बुद्धि भी इसे देखकर ललचा गयी। उन्होंने इस प्यारी वनमालाको अपने वक्षःस्थलपर धारण किया, उन्हें यह इतनी प्रिय लगी कि इसे वे कभी भी अपने कण्ठसे अलग नहीं करते हैं। इस मालाकी विचित्र गति तो देखिये कि भगवान्ने इसे कण्ठमें धारण किया और यह लटककर श्रीचरणोंमें आ लगी है।
इस मालामें भक्तिकी सुन्दरताका भार है, इसीसे झुकी है। पंचरंगी भक्तमाल पहने हुए श्यामसुन्दरका जो दर्शन करता है, वह उनके वशमें होकर उन्हें वशमें कर लेता है। यह रहस्यकी बात भक्तमालके द्वारा जानी गयी है॥५॥

www.bhagwatkathanak.in // www.kathahindi.com

भक्तमाल की लिस्ट देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करेंभक्ति भाव के सर्वश्रेष्ठ भजनों का संग्रह 

भक्तमालकी महिमा bhaktamal katha

Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3