F शिव पुराण कथा इन हिंदी -47 - bhagwat kathanak
शिव पुराण कथा इन हिंदी -47

bhagwat katha sikhe

शिव पुराण कथा इन हिंदी -47

शिव पुराण कथा इन हिंदी -47

 शिव पुराण कथा इन हिंदी

   शिव पुराण कथा भाग-47  

shiv puran pdf शिव पुराण हिंदी में

ततोधिकं प्रपश्यामि सौन्दर्यं परमेशितुः।
मैं तो उससे भी अधिक सौंदर्य परमेश्वर को देख रही हूं । इस समय महेश्वर का सौंदर्य तो वर्णन से परे है । इस प्रकार विस्मित हुई मैंना अपने घर के भीतर गई । इसके बाद हिमाचल ने बहुत प्रसन्न होकर ( द्वारचारमथाकरोत् ) द्वारचार किया। मैना भी आनंदित होकर सभी स्त्रियों के साथ महोत्सव पूर्वक परिछन किया ,फिर वे घर के अंदर चली गई।

इसके बाद शिवजी भी अपने गणों और देवताओं के साथ हिमालय द्वारा की गई उत्तम स्थान वाले जगह पर चले गए। इसी बीच हिमालय की अंतःपुर की परिचारिकायें पार्वती को साथ लेकर कुल देवता की पूजा करने के लिए बाहर गई।

उस समय सभी देवता आदि ने जगत की आदिस्वरूपा तथा जगत को उत्पन्न करने वाली देवी को देख कर भक्तियुक्त हो सिर झुकाकर के उन्हें प्रणाम किया।
त्रिनेत्रो नेत्रकोणेन तां ददर्श मुदान्वितः।
त्रिनेत्र धारी भगवान शंकर ने भी उन्हें देखा, उनको वह साक्षात सती रूप में दिखाई दी। पार्वती जी को देखकर शिवजी सब कुछ भूल गए उनके सभी अंग पुलकित हो उठे और भगवती काली ने नगर के बाहर जाकर कुल देवी का पूजन कर द्विज पत्नियों के साथ अपने पिता के घर में प्रवेश की।

 शिव पुराण कथा इन हिंदी

इसके बाद शैलराज ने प्रसन्नता पूर्वक शिवजी का वेद मंत्रों के द्वारा उपनयन संस्कार कराया , तदनन्तर विष्णु आदि देवताओं एवं मुनियों ने हिमालय के द्वारा प्रार्थना किए जाने पर घर के भीतर प्रवेश किया।
उन लोगों ने लोक तथा वेद को यथार्थ रूप से संपन्न कर शिव जी के द्वारा दिए गए आभूषणों से पार्वती जी को अलंकृत किया। ब्राह्मण पत्नियां भगवती को अच्छी तरह से सजाकर उनकी आरती उतारती हैं । इसी समय वहां ज्योतिष शास्त्र के पारंगत विद्वान गर्गाचार्य हिमाचल से बोले-

हिमाचल धराधीश स्वामिन् कालीपितः प्रभो।
पाणिग्रहार्थं शंभुंचानय त्वं निजमंदिरम्।। 47-14
हे धराधीश अब पाणिग्रहण के निमित्त शिव जी को अपने घर ले आइए। गर्ग के द्वारा निर्देश दिए गए कन्यादान के लिए उचित समय जानकर हिमालय मन में अत्यंत प्रसन्न हुए।

हिमाचल ने ब्राह्मणों को सदाशिव को बुलवाने के लिए भेज दिया। ब्राह्मण लोगों ने जाकर भगवान शंकर ,विष्णु, ब्रह्मा आदि देवताओं से कहा कि अब कन्यादान का समय निकट है। आप कृपा कर शीघ्र पधारें ऐसा हिमाचल ने कहा है ।
शिवजी ने झटपट लोक रीति के अनुसार उबटन आदि लगाकर स्नान किया और फिर सुन्दर वस्त्र आभूषण आदि धारण करके, वृषभ पर सवार होकर हिमाचल के घर पधारे।

 शिव पुराण कथा इन हिंदी

मैना ब्राह्मण स्त्रियों के साथ तथा अन्य सौभाग्यवती स्त्रियों के साथ मिलकर भगवान की आरती की। कर्मकांड के ज्ञाता पुरोहित ने मधुपर्क दान आदि जो जो कृत्य था वह सब महात्मा शंकर के लिए किया।

उसके बाद अन्तर्वेदी में बड़े प्रेम से प्रविष्ट होकर, हिमालय बेदी के ऊपर समस्त आभूषणों से विभूषित कन्या पार्वती जहां विराजमान थी। वहां विष्णु ब्रह्मा तथा महादेव जी को ले गए ।
फिर बृहस्पति आदि शुभ लग्न का अवसर देखकर ,कन्यादान के पूर्व का कार्य कराने लगे । शिव पार्वती जी आपस में एक दूसरे को देखकर प्रसन्न हुए। उसके बाद कन्यादान का समय हुआ गर्ग जी ने हिमाचल एवं मैना से कहा- आप दोनों आकर कन्यादान करिए।

पर्वतराज की पत्नी अलंकृत होकर स्वर्ण कलश लिए हुए हिमाचल की बाई ओर आकर बैठ गई। फिर पुरोहित के सहित हिमालय प्रसन्न होकर पाद्य आदि से और वस्त्र तथा आभूषण से उनका वरण किया।
इसके बाद हिमालय ने ब्राह्मणों से कहा- अब कन्यादान का यह समय उपस्थित हो गया है, अतः आप लोग संकल्प के लिए तिथि आदि का उच्चारण कीजिए। उनके यह कहने पर काल के ज्ञाता श्रेष्ठ ब्राह्मण निश्चिंत होकर प्रेम पूर्वक तिथि आदि का उच्चारण करने लगे।

 शिव पुराण कथा इन हिंदी

तब सृष्टिकर्ता महादेव जी द्वारा प्रेरित होकर हिमालय हंसते हुए प्रसन्नता के साथ शिव जी से कहा- कि
स्वगोत्रं कथ्यतां शम्भो प्रवरश्च कुलं तथा।
हे शंभू अब आप अपने गोत्र प्रवर कुलनाम वेद तथा शाखा को कहिए ? विलंब मत कीजिए।

उन हिमालय की यह बात सुनकर भगवान शंकर प्रसन्न होते हुए भी उदास हो गए और शोक के योग्य ना होते हुए भी शोकयुक्त हो गए। उस समय श्रेष्ठ देवताओं ,मुनियों, गंधर्वों, यक्षों तथा सिद्धों ने जब शंकर जी को निरुत्तर मुख देखा, तब नारदजी ने सुंदर हास्य किया।
शिव जी के द्वारा मन से प्रेरित होकर वीणा बजाने लगे। ब्रह्मा विष्णु आदि देवता नारदजी को ऐसा ना करने को कहा ,किंतु नारदजी शिवजी की इच्छा से बजाते रहे । तब हिमालय ने नारद जी को हट पूर्वक रोका, तो नारद जी बोले-
त्वं हि मूढत्वमापन्नो न जानासि च किंचन।
हे पर्वतराज आप मूढता से युक्त हैं, आपने इस समय जो साक्षात महेश्वर से गोत्र बताने के लिए कहा है , वह वचन अत्यंत हास्यास्पद है । अरे ब्रह्मा विष्णु आदि भी इनका गोत्र कुल नाम नहीं जानते दूसरों की क्या बात कही जाए।
यस्यैक दिवसे शैल ब्रह्मकोटिर्लयं गता।
हे शैल जिनके एक दिन में करोड़ों ब्रह्मा लय को प्राप्त हो जाते हैं, उन शंकर का दर्शन आपने आज काली के तप के प्रभाव से ही किया है। ये स्वतंत्र भक्तवत्सल और गोत्र कुल नाम से सर्वथा रहित हैं ।

 शिव पुराण कथा इन हिंदी

यह गोत्र हीन होते हुए भी श्रेष्ठ गोत्र वाले हैं, कुलहीन होते हुए भी उत्तम कुल वाले हैं। आज पार्वती के तप से आपके जामाता हुए हैं। इसमें संदेह नहीं है । नारद जी के वचन सुनकर के हिमाचल संतुष्ट हो गए और देवता गण भी साधु साधु ऐसा कहने लगे।

तब मेरु आदि पर्वतों ने कहा- हिमाचल कन्यादान में देर क्यों करते हो ? शीघ्र करो! तब हिमाचल कन्यादान करने लगे प्रतिज्ञा संकल्प करते हुए हिमाचल ने कहा-
इमां कन्यां तुभ्यमहं ददामि परमेश्वर।
भार्यार्थं परिगृह्णीष्व प्रसीद सकलेश्वर।। 48-38
सदाशिव आपको मैं अपनी कन्यादान करता हूं ,आप इसे धर्म पत्नी के रूप में स्वीकार करें। इस प्रकार कहकर जल तथा कन्या का हाथ सदा शिव के हाथ में अर्पण कर दिया । तब सदाशिव भी वेद वचनानुसार मंत्र बोलते हुए, श्री पार्वती जी का हांथ लेकर पृथ्वी का स्पर्श करते हुए, लोकिकरीति दिखाकर मंत्र को पढ़ने लगे ।

तब चारों ओर जय जयकार की ध्वनि गूंज उठी। गंधर्व गाने लगे, अप्सरा नृत्य करने लगी। ब्रह्मा विष्णु इंद्र आदि अतीव प्रसन्न हुए। उसके बाद हिमाचल ने भगवान शिव को अनेकों वस्तुएं प्रदान की।
रत्न जडित स्वर्ण के आभूषण तथा पात्र एवं दूध देने वाली बहुत सुंदर सजी हुई सवा लाख गौएँ, सजे सजाए कई घोड़े, एक लाख दासियां, एक करोड़ हाथी, सोने तथा जवाहरातों से जड़े हुए एक करोड़ रथ यह सब दहेज में दिये।

इस प्रकार परमेश्वर शिव को विधि पूर्वक अपनी पुत्री शिवा गिरिजा को प्रदान करके हिमालय कृतार्थ हो गए । इसके बाद पर्वतराज ने हाथ जोड़कर श्रेष्ठ वाणी में मध्यान्दिनी शाखा में कहे गए स्त्रोत्र से परमेश्वर की स्तुति की ।

इसके बाद वेदज्ञ हिमालय की आज्ञा पाकर मुनियों ने अति प्रसन्न होकर शिवा के सिर पर अभिषेक किया और देवताओं के नाम का उच्चारण कर पर्युक्षण विधि सम्पन्न की। उस समय परम आनंद उत्पन्न करने वाला महोत्सव हुआ।

shiv puran pdf शिव पुराण हिंदी में -1

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


______________________________


______________________________

 शिव पुराण कथा इन हिंदी

Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3