आध्यात्मिक दृष्टांत । adhyatmik drishtant in hindi
एक बच्चेने माँसे कहा कि 'माँ ! मेरेको गुड़ चाहिये। माँने कहा कि ग्वार ले जा और बदलेमें बनियेके यहाँसे गुड़ ले आ । बच्चा घरसे ग्वार ले गया और बनियेसे बोला कि मुझे गुड़ चाहिये ।
बनियेने तौलकर ग्वार ले लिया और गुड़ तौलकर दे दिया। बच्चा सोचने लगा कि बनिया कितना मूर्ख है ! ग्वार-जैसी चीज पशुओंके खानेकी है, मनुष्यके कामकी नहीं है, उसके बदले में यह मेरेको गुड़ देता है।
इस तरह ग्वार और गुड़पर दृष्टि रहनेके कारण बच्चेको बनिया मूर्खता है। परन्तु बनियेकी दृष्टि पैसोंपर है कि ग्वार कितने पैसोंका है और गुड़ कितने पैसोंका है।
बनिया दो तरहसे पैसे कमाता है— माल लेता है तो सस्ता लेता है और बेचता है तो मँहगा. बेचता है। अतः उसने ग्वारमें नफा अलग लिया और गुड़में नफा अलग लिया। बनियेको ग्वार और गुड़से क्या मतलब ? उसको तो पैसा पैदा करना है।
ऐसे ही साधककी दृष्टि परमात्मतत्त्वपर होती हैं। सबमें जो परमात्मा है, उसीको प्राप्त करना है, संसारसे क्या मतलब ?
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