यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च bhagavad gita in hindi shlok
यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति ।
तस्याहं न प्रणश्यामि स च मे न प्रणश्यति ॥
(गीता ६ ३०)
'जो सबमें मेरेको देखता है और सबको मेरेमें देखता है, उसके लिये मैं अदृश्य नहीं होता और वह मेरे लिये अदृश्य नहीं होता।'
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