संतों की वाणी santo ki bani in hindi

 संतों की वाणी santo ki bani in hindi 


जिनमें अपने मतका आग्रह होता है, वे मतवाले होते हैं। मतवालेकी बात यथार्थ नहीं होती। सन्तोंने कहा है-
मतवादी जानै नहीं, ततवादी की बात। 
सूरज ऊगा उल्लुवा, गिनै अँधेरी रात ।। 
हरिया तत्त विचारियै, क्या मत सेती काम । 
तत्त बसाया अमरपुर, मत का जमपुर धाम ॥ 
हरिया रत्ता तत्त का, मत का रत्ता नांहि 
मतका रत्ता से फिरै, तांह तत पाया नांहि ॥ 
अहम्के सम्बन्धसे ही मैं, तू, वह और वह-ये चार भेद होते हैं। अहम्का सम्बन्ध न रहे तो मैं, तू, यह और वह-ये चारों नहीं रहेंगे, प्रत्युत इन सबका प्रकाशक एक 'है' रहेगा। उस 'है' में ये चारों ही नहीं हैं।

संतों की वाणी santo ki bani in hindi 

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